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Inspiration:इस टीचर ने बना दिया सरकारी स्कूल को कान्वेंट, खुद उठाते हैं खर्च

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उत्तर प्रदेश के अंतिम छोर पर स्थित गांव इटायला माफी के सरकारी पाठशाला की आजकल पूरे प्रदेश में चर्चा है...


गंदगी और अव्यवस्थाओं का भंडार जहां सरकारी स्कूलों की पहचान बन चुका है। वहीं सम्भल जनपद का इटायला माफी प्राथमिक विद्यालय इन सभी के लिए उदाहरण बना हुआ है। यहां बच्चों की पढ़ाई का स्तर, उनके पढ़ाई के लिए व्यवस्थाएं किसी अंग्रेजी माध्यम के विद्यालय से कम नहीं। यहां पर कपिल मलिक प्रिंसिपल हैं। स्कूल में लगभग दो सौ पचास गमलों में फूल वाले पौधे लगाए गए हुए हैं जो यहां की स्वच्छता और सुंदरता के जीवांत गवाह हैं। साथ ही मिड डे मील बंटने से पहले बच्चों को हाथ साफ करना अनिवार्य है। बच्चों की उपस्थिति से लेकर शिक्षकों की उपस्थिति बेहतर रहती है।

बच्चों की संख्या 50 से बढ़कर 265 हो गई

कपिल सर के आने के बाद स्कूल में बच्चों की संख्या 50 से बढ़कर 265 हो गई। जब इसकी चर्चा उत्तर प्रदेश के शिक्षा क्षेत्र में गूंजी तो प्रदेश सरकार को भी सुध आई और स्कूल का चयन आदर्श स्कूल के रूप में किया गया। शिक्षक दिवस पर स्कूल के प्रिंसिपल कपिल मलिक को लखनऊ में बेसिक शिक्षा निदेशक अजय कुमार ङ्क्षसह ने शॉल ओढ़ाकर और 1.20 लाख रुपए का चेक देकर सम्मानित किया।

इटायला माफी प्राथमिक विद्यालय के प्रिंसिपल कपिल मलिक।

कुछ मुख्य बातें जो इस स्कूल को बनाती हैं खास...

1. प्राथमिक विद्यालयों में लोग साधारण पढ़ाई होने की उम्मीद भी कम करते है, लेकिन इटायला माफी प्राथमिक विद्यालय में कक्षा तीन से पांच तक के बच्चों को प्रत्येक दिन एक घंटे कम्प्यूटर की शिक्षा दी जाती है।
2. इस स्कूल में बच्चों को पढ़ाने के लिए चाक और ब्लैक बोर्ड का इस्तेमाल नहीं किया जाता। बल्कि उसके स्थान पर व्हाइट बोर्ड और मार्कर का इस्तेमाल किया जा रहा है। जिससे बच्चे आसानी उसे समझ सकें। साथ ही इस सबका खर्च प्रिंसिपल खुद उठाते है।
3. इस स्कूल बिजली न आने पर भी बच्चों को गर्मी नहीं लगेगी। क्योंकि प्रिंसिपल ने इसके लिए स्कूल में सोलर लाइट लगवा रखी है और स्कूल के सभी पंखे इसी लाइट से चलते है।
4. जैसे ही स्कूल का सत्र शुरू होता है। उसी समय प्रिंसिपल अपनी तरफ से स्कूल के सभी बच्चों को बैग तथा टाई देते है। जिससे सभी बच्चे बैग लेकर आए और ड्रेस पर टाई लगाकर आए। साथ ही सभी को स्कूल का आई कार्ड दिया जाता है और स्कूल में हर माह बच्चों का टेस्ट लिया जाता है। इसके बाद जो बच्चा क्लास में सबसे ज्यादा नंबर लाता है उसका नाम स्कूल में लगे बोर्ड पर लिख दिया जाता है।
5. स्कूल का इंफ्रास्ट्रक्चर और पढ़ाई देखकर अभिभावक भी अपने बच्चों को इस स्कूल में पढऩे के लिए भेज रहे है। स्कूल में 251 बच्चे पंजीकृत हैं, जिसमें ऐसे 103 बच्चे हैं जिन्होंने पूरे साल कोई भी छुट्टी नहीं ली। साथ ही इस स्कूल के पांचवीं के एक बच्चे ने 97 प्रतिशत अंक लाकर जिले में टॉप किया।


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