बरसों हुए, उनसे फोन पर बात हुई थी।
विविध भारती के किसी कार्यक्रम के लिए फोन पर इंटरव्यू करना था। वातानुकूलित स्टूडियो में भी हथेली पर पसीना चुहचुहा रहा था, गला सूख रहा था और हम नि:शब्द हो रहे थे। बातचीत रिकॉर्ड हो गयी बाद में बड़े संकोच से उनसे कहा, आपसे लंबी बातचीत रिकॉर्ड करने की तमन्ना है। फौरन उन्होंने अपना मोबाइल नंबर लिखवा दिया। कहा, बात करते रहो, जब वक्त होगा, तो हम बातचीत का दिन तय कर लेंगे। वो दिन कभी नहीं आया।
जगजीत से जो नाता है, उसे कैसे अलफ़ाज़ में बयां करें।
हाइ-स्कूल के वो दिन याद आते हैं जब उनके कैसेट्स और हमारे जेबख़र्च के बीच एक डोर बंधी थी। वो दिन, जब उस छोटे से शहर में अलबम 'सज्दा'के लिए कितना कितना इंतज़ार किया था। बीते महीने जब Brahmanand Singh की फिल्म 'काग़ज की क़श्ती'देखी... तो कितनी कितनी बार आंखें भर आयीं। शुक्रिया ब्रह्मा इतने अनमोल दस्तावेज़ीकरण के लिए। वरना हम भारतीय अपने प्रिय कलाकारों के डॉक्यूमेन्टेशन को लेकर बहुत बेपरवाह और कमज़ोर हैं। कल जगजीत की याद का दिन था। यही वो दिन था, जब रूंधे गले से विविध भारती पर हमने उन्हें अंतिम विदाई दी थी।
जगजीत का नंबर अब भी मोबाइल पर सुरक्षित है। 'हाथ छूटे भी तो रिश्ता नहीं तोड़ा करते'.......
श्री. यूनुस खान , उद्घोषक , विविध भारती, मुम्बई
स्त्रोत :- श्री. यूनुस खान जी के फेसबुक अकाउंट से