दूरदर्शन के जानेमाने न्यूज़ रीडर श्री. जे वी रमण का 7 अगस्त 2014 के दिन संत परमानन्द अस्पताल, नई दिल्ली में गुर्दे की बिमारी से निधन हुआ था । वे 68 साल के थे। लेकिन आज भी दूरदर्शन के दर्शक उन्हें याद करते है। उनके निधन के कुछ दिन पहले के साक्षात्कार के प्रमुख अंश :-
प्र. जब आपको लोगों का प्रेम मिलता है तब कैसा लगता है?
जेवी रमण- मुझे दूरदर्शन न्यूज को छोड़े हुए एक लंबा अरसा गुजर गया है, पर अब भी गाहे-बगाहे लोग मुझे पहचान लेते हैं। इससे ज्यादा क्या कहूं।
प्र. आपतो न्यूज रीडर हैं, लेकिन फिर भी बहुत ज्यादा देर तक नहीं बोलते?
जेवी रमण- जिस वक्त मैं न्यूज पढ़ता था, तब पूरे देश की घटनाओं को रात्रि 8 बजे के बुलेटिन में समाहित करना होता था। उसी वजह से कम समय में ज्यादा बातें कहने की आदत पड़ गई, लिहाजा ज्यादा देर तक नहीं बोलता हूं।
प्र. आप दूरदर्शन से कैसे जुड़े?
जेवी रमण- मैं तो दिल्ली विश्वविद्लाय के शिवाजी कालेज में इक्नोमिक्स पढ़ा रहा था। मेरा सर्किल भी डीयू में ही था। मैं 1973 में दूरदर्शन से जुड़ा। आगाज हुआ अंग्रेजी न्यूज रीडर के रूप में। मेरा स्क्रीन टेस्ट और वॉइस टेस्ट के बाद चयन हो गया।
प्र. आपकी शुरुआत कैसी रही?
जेवी रमण- जैसा मैंने बताया कि मेरा चयन इंग्लिश न्यूज रीडर के रूप में हुआ। उसके बाद मुझे हिन्दी में भी न्यूज पढ़ने का मौका मिला। मौका मिला तो फिर उससे ही जुड़ गया। इंग्लिश कहीं दूर छूट गई। मैंने शिवाजी कालेज में 40 साल पढ़ाया और तीस साल तक दूरदर्शन न्यूज से जुड़ा रहा।
प्र. आपके नाम से तो नहीं लगता कि आप हिंदी भाषी हैं, फिर हिंदी समाचार?
जेवी रमण- अब मैं अपने हिन्दी से संबंध की जानकारी देता हूं। हिन्दी तो मेरी मातृभाषा नहीं थी। हिन्दी से मेरा संबंध दिल्ली आने के बाद स्थापित हो गया। दरअसल, मेरे पिता जी डाक्टर थे। वे यहां पर 1955 में आए। मैं उस वक्त स्कूल में पढ़ रहा था। इसलिए यहां पर स्कूल में हिन्दी पढ़ी। बेशक, मुझे हिन्दी न्यूज रीडर के रूप में अखिल भारतीय स्तर पर पहचान मिली। मैं जब तक दूरदर्शन से जुड़ा रहा तब तक रात 8 बजे का बुलेटिन बहुत अहम माना जाता था।
प्र. रात्रि 8 बजे का बुलेटिन क्यों खास होता था?
जेवी रमण- उस दौर में 15 सेकेंड की फुटेज से आधे घंटे खेलने को समाचार नहीं कहा जाता था। तब रात 8 बजे का बुलेटिन मेन रहता था। उसे पूरा देश देखता था। मतलब समाचारों का मतलब दिन भर की घटनाओं को दर्शकों के समक्ष बिना किसी निजी राय या दृष्टिकोण के परोसा जान था। समाचार जैसे होते थे प्रस्तुत कर दिए जाते थे।
प्र. बतौर न्यूज रीडर आप किस बात का विशेष ध्यान रखते थे?
जेवी रमण- यह वह समय था जब दूरदर्शन पर उच्चारण तथा प्रस्तुति बहुत महत्व रखती थी। माता-पिता बच्चों से समाचार देखने को कहते थे ताकि बच्चे सही उच्चारण को समझ सकें।
प्र. कोई ऐसा बुलेटिन जो आप कभी नहीं भुला पाये?
मैंने दूरदर्शन में हजारों बुलेटिन पढ़े। पर सबसे यादगार बुलेटिन था जिसमें राजीव गांधी की मौत की खबर देश को सुनानी थी। अब भी उस बुलेटन की यादें ताजा हैं। बेहद कठोर था उसे पढ़ना। मुझे याद है, उस दिन दूरदर्शन के न्यूज रूम का माहौल। बेहद गमगीन माहौल था। मैंने जैसे-तैसे खबर को पढ़ा। खबर पढ़ते वक्त मेरे होंठ लड़खड़ा से रहे थे। आप खुद ही समझ सकते हैं कि उस बुलेटिन को पढ़ते वक्त मेरी किस तरह की मानसिक स्थिति रही होगा।
Source and Credit :- http://hindi.oneindia.com/news/india/doordarshan-hindi-news-reader-jv-raman-passes-away-313913.html